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मन और समस्याएँ - हिंदी कविता

  • Writer: Deepak RS Sharma
    Deepak RS Sharma
  • Mar 21, 2021
  • 1 min read



इस संसार के समक्ष बड़ी विचित्र समस्याएँ हैं ।

मनुष्य की दुश्मन खुद उसी की संवेदनाएँ हैं।

बार बार बेबस और कर्तव्य विमुख कर देती हैं,

लाचार और विवश परिस्थितियों के सम्मुख कर देती हैं।

क्यों हम क्षणभंगुर सुख साधनों के दुष्परिणाम दरकिनार कर देते हैं,

कुछ ही क्षण में ज़माने भर के ग़म बेमतलब स्वीकार कर लेते हैं।

समझदारी है या बेवकूफ़ी इसका फैसला कर पाना ज़रा मुश्किल है,

क्योंकि इंसान का जानी दुश्मन खुद उसका बेलग़ाम दिल है ।

ज्ञान का सुमार्ग जब बेमानी लगने लगता है,

मायाजाल में उलझा मन सर्व ज्ञानी लगने लगता है।

कटघरे में खड़ा इन्सान अपने तथ्य स्वयं घड़ने लगता है।।

तब सच्चाई का उपदेश झूठी कहानी लगने लगता है।।

पर अब इस बात का फैसला करना अत्यंत ज़रूरी है।

लाख कोशिशों के बाद भी मानव की इच्छापूर्ति अधूरी है।

मन की भटकन पर अंकुश लगाना बहुत ज़रूरी है।

ज्ञान के पथ पर चलके ही ज़िन्दगी यथार्थ रूप में पूरी है।।


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